(शाहाबाद से सीतामढ़ी तक महागठबंधन का ‘सूपड़ा साफ’: बिहार चुनाव में 15 जिलों में एक भी सीट नहीं Bihar Election Result 2025 | Mahagathbandhan Clean Sweep IN 15 Districts | NDA Historic Victory)
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आते ही राज्य की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। जिस महागठबंधन ने 2020 में कई क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन किया था, वह इस बार शाहाबाद से लेकर सीतामढ़ी तक लगभग गायब हो गया है। कुल 38 जिलों में से 15 जिलों में महागठबंधन का ‘सूपड़ा साफ’ हो गया है, यानी इन जिलों से एक भी विधायक महागठबंधन के किसी घटक दल को नहीं मिला।इसी के साथ एनडीए (NDA) ने बिहार में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 202 सीटों पर कब्जा कर लिया। यह स्पष्ट संकेत है कि बिहार की जनता ने इस बार स्थिरता, एकजुटता और नेतृत्व को प्राथमिकता दी है, जबकि महागठबंधन आपसी खींचतान से बाहर नहीं निकल पाया।(Mahagathbandhan Clean Sweep IN 15 Districts)
महागठबंधन की अंदरूनी कलह बनी भारी: सीट बंटवारे में अंत तक किचकिच
महागठबंधन में RJD, Congress, Left Parties, VIP और अन्य दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर चुनाव की आखिरी तारीख तक गहमागहमी और खींचतान जारी रही।
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कभी सीट संख्या पर विवाद
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कभी उम्मीदवार चयन पर तनाव
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कभी प्रचार रणनीति में असहमति
इन सबने मिलकर महागठबंधन को चुनाव के पहले ही कमजोर कर दिया।
हालाँकि बाद में सीट शेयरिंग तय हो गई, लेकिन तब तक मैसेजिंग लोगों के बीच जा चुकी थी कि महागठबंधन में एकता नहीं है।चुनावी राजनीति में “मैसेजिंग और परसेप्शन” ही आधी लड़ाई होती है, और महागठबंधन यहां पिछड़ गया।(Mahagathbandhan Clean Sweep IN 15 Districts)
तेजस्वी-राहुल-प्रियंका-मुकेश-दीपांकर की मेहनत बेअसर
महागठबंधन के बड़े चेहरे—
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तेजस्वी यादव
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राहुल गांधी
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प्रियंका गांधी
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मुकेश सहनी
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दीपांकर भट्टाचार्य
ने कई सभाएँ, रोड शो और जनसंपर्क अभियान चलाए।
लेकिन जब वोटिंग मशीनें खुलीं, तो नतीजों ने विपक्ष को स्तब्ध कर दिया।
जहाँ उम्मीद थी कि महागठबंधन कम से कम 70–80 सीटें ले जाएगा, वहीं उसे कुल 35 सीटों से संतोष करना पड़ा।
इन 35 में—
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25 सीटें RJD
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6 सीटें कांग्रेस
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3 सीटें वाम दल
ने जीतीं।
यानि कांग्रेस, लेफ्ट और छोटे दल पूरी तरह कमजोर हो गए।(Mahagathbandhan Clean Sweep IN 15 Districts)
15 जिलों में पूरी तरह सफाया—महागठबंधन का कोई प्रतिनिधि नहीं
चुनाव आयोग के अंतिम आंकड़ों के अनुसार, बिहार के जिन 15 जिलों में महागठबंधन को एक भी सीट नहीं मिली, वे हैं—
शिवहर,सीतामढ़ी,सुपौल,पूर्णिया,दरभंगा,गोपालगंज,खगड़िया,भागलपुर,बांका,मुंगेर,लखीसराय,शेखपुरा,नालंदा,\भोजपुर,अरवल इन सभी जिलों में NDA उम्मीदवारों ने क्लीन स्वीप किया।मतलब अगले पाँच वर्षों तक इन क्षेत्रों का विधानसभा प्रतिनिधित्व सिर्फ NDA के पास रहेगा।राजनीतिक दृष्टि से यह महागठबंधन के लिए सबसे बड़ा झटका है।(Mahagathbandhan Clean Sweep IN 15 Districts)
शाहाबाद में ध्वस्त हुआ महागठबंधन का किला
शाहाबाद क्षेत्र—भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर—महागठबंधन के लिए कभी मजबूत आधार था।
2020 में RJD–Left को यहाँ अच्छी सफलता मिली थी।
लेकिन 2025 में—
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शाहाबाद क्षेत्र में महागठबंधन सिर्फ तीन सीटों पर सिमट गया।
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जिन इलाकों में पहले 8–10 सीटें मिलती थीं, वहीं इस बार जनता ने पूरी तरह मुंह मोड़ लिया।
यह दर्शाता है कि जनता ने स्थिर नेतृत्व और विकास मॉडल के नाम पर NDA को प्राथमिकता दी।(Mahagathbandhan Clean Sweep IN 15 Districts)
NDA की एकजुटता और प्रबंधन ने दिलाई ऐतिहासिक जीत
एनडीए में शामिल—
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भाजपा (BJP)
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जदयू (JDU)
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लोजपा (रा)
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हम
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VIP के कुछ बागी समीकरण
ने मिलकर इस बार चुनावी मैनेजमेंट को मजबूत किया।
NDA की रणनीति को सफल बनाने वाले प्रमुख कारण रहे—
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गठबंधन में कोई बड़ा विवाद नहीं
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सीट बंटवारा समय पर
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स्थानीय नेताओं का मजबूत डेटाबेस
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बूथ-स्तर संगठन की मजबूती
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पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की संयुक्त अपील
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NDA का “एकजुटता” वाला संदेश
इसके विपरीत महागठबंधन की छवि बिखरी हुई और असंगठित के रूप में बनी रही।(Mahagathbandhan Clean Sweep IN 15 Districts)
महागठबंधन का पतन: बिहार की राजनीति में नए समीकरण
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इन नतीजों से 3 बड़ी बातें निकल कर सामने आई हैं—
1️⃣ जनता अब बिखराव वाली राजनीति पसंद नहीं करती
मतदाताओं ने साफ संदेश दिया—
“विकास और स्थिरता चाहिए, झगड़ा और किचकिच नहीं।”
2️⃣ RJD का कोर वोट कमजोर हुआ
कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल में जहां RJD मजबूत थी, वहां भी NDA ने सेंध लगाई।
3️⃣ गठबंधन की राजनीति में विश्वास लगातार टूट रहा है
कांग्रेस–RJD–Left के बीच आंतरिक अविश्वास का असर मैदान तक पहुंचा।
महागठबंधन मुक्त 42% बिहार—राजनीति में बड़ा बदलाव
सबसे महत्वपूर्ण आँकड़ा यह है कि—बिहार के 42% जिलों से महागठबंधन का प्रतिनिधित्व शून्य हो गया है।
इतना बड़ा राजनीतिक खालीपन बताता है कि—
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महागठबंधन संगठनात्मक रूप से कमजोर
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नेतृत्व में भरोसा कम
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चुनावी जमीन पर पकड़ ढीली
हो चुकी है।(Mahagathbandhan Clean Sweep IN 15 Districts)
जनता ने एनडीए के स्थिर नेतृत्व को तरजीह दी
शाहाबाद से सीतामढ़ी तक NDA की ऐतिहासिक जीत साबित करती है कि—जनता ने बिखराव की जगह स्थिर नेतृत्व को चुना।
NDA के भीतर—
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स्पष्ट नेतृत्व
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सयंत्रित प्रचार
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मजबूत बूथ प्रबंधन
ने चुनाव को एकतरफा बना दिया।बिहार चुनाव 2025 के परिणामों ने स्पष्ट संकेत दिया है कि राज्य की राजनीतिक धारा अब बड़े बदलाव की ओर बढ़ चुकी है।शाहाबाद से सीतामढ़ी तक महागठबंधन के नदारद रहने और 15 जिलों में पूरी तरह ‘सूपड़ा साफ’ हो जाने ने विपक्ष की कमियों को सामने रखा है।वहीं NDA की 202 सीटें यह दिखाती हैं कि जनता अब एकजुट, स्थिर और जिम्मेदार नेतृत्व चाहती है—और इस बार उसने वही चुना।(Mahagathbandhan Clean Sweep IN 15 Districts)
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