Mokama is the political battleground

बिहार का रणक्षेत्र बना मोकामा: सत्ता, बाहुबली और सियासत का संगम Mokama

बिहार की राजनीति में मोकामा (Mokama)का नाम हमेशा से ही सत्ता और शक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता रहा है। इस बार भी मोकामा (Mokama)विधानसभा चुनाव सुर्खियों में है — और वजह है दो दिग्गजों के बीच सीधा मुकाबला। एक ओर हैं मुंगेर की पूर्व सांसद वीणा देवी(Veena Devi), तो दूसरी ओर मोकामा के पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह(Anant Singh)। लेकिन इस बार का मुकाबला सिर्फ दो प्रत्याशियों के बीच नहीं, बल्कि दो बाहुबली परंपराओं, दो सत्ता संरचनाओं और दो प्रभावशाली परिवारों के बीच का टकराव है।(Mokama is the political battleground)

मोकामा – जहां राजनीति की धड़कनें गोलियों की गूंज से मिलती हैं(Mokama – where the pulse of politics meets the echo of gunfire)

गंगा किनारे बसा मोकामा (Mokama)विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति का हमेशा केंद्र बिंदु रहा है। यह इलाका जितना उपजाऊ है, उतना ही खतरनाक भी। यहां की मिट्टी ने किसानों से ज्यादा बाहुबलियों को जन्म दिया है। वर्षों से यह इलाका अपराध और राजनीति के गठजोड़ का प्रतीक बना हुआ है। अब जब विधानसभा चुनाव की बिसात बिछी है, तो मोकामा फिर एक बार बिहार के सबसे ताकतवर नेताओं का रणक्षेत्र बन गया है।(Mokama is the political battleground)

 वीणा देवी – राजनीति की मंझी  मजबूत दावेदार(Veena Devi – A seasoned political strong contender)

मुंगेर की पूर्व सांसद वीणा देवी(Veena Devi) राजनीति में नया चेहरा नहीं हैं। हालांकि वे खुद एक शांत, सधी हुई और सियासी तौर पर परिपक्व महिला हैं, लेकिन उनके पीछे खड़ा है बिहार का सबसे पुराना और ताकतवर राजनीतिक-आपराधिक नेटवर्क — उनके पति सूरजभान सिंह(Surajbhan Singh) का।वीणा देवी का मोकामा (Mokama)से चुनाव लड़ना केवल एक राजनीतिक फैसला नहीं, बल्कि सूरजभान सिंह की पुरानी विरासत को पुनः स्थापित करने की कोशिश है। सूरजभान का नाम सुनते ही बिहार-यूपी की अपराध और राजनीति की दुनिया के पुराने पन्ने खुल जाते हैं। 90 के दशक के आखिरी वर्षों में सूरजभान का नाम उस दौर के सबसे ताकतवर बाहुबलियों में शुमार था।(Mokama is the political battleground)

सूरजभान सिंह – अपराध की दुनिया से सत्ता के शिखर तक(Suraj Bhan Singh – From the world of crime to the pinnacle of power)

साल 2000 से पहले सूरजभान सिंह(Surajbhan Singh) सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक ब्रांड थे — डर, ताकत और नेटवर्क का ब्रांड। बिहार से लेकर झारखंड, यूपी और दिल्ली तक उनके खिलाफ कई संगीन मामले दर्ज थे। उस दौर में यूपी-बिहार का कोई बड़ा ठेका उनके नाम के बिना पास नहीं होता था।अपराध की दुनिया में सूरजभान का दबदबा इतना था कि उस वक्त के कई कुख्यात अपराधी — जैसे श्रीप्रकाश शुक्ला, मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी और पप्पू देव — सभी किसी न किसी रूप में उनके शरण में थे। ये सभी उनके नेटवर्क का हिस्सा थे या उनके प्रभाव में काम करते थे।यूपी-बिहार के अपराध जगत में कहा जाता था कि “सूरजभान के बिना कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता।” उनके समर्थक उन्हें “दादा” कहकर बुलाते थे। यह उपाधि सिर्फ डर की वजह से नहीं, बल्कि उस सामाजिक दबदबे की वजह से थी जो सूरजभान ने अपने प्रभाव, धन और संबंधों से हासिल किया था।(Mokama is the political battleground)

 राजनीति में प्रवेश और सत्ता की सीढ़ियाँ(Entry into politics and the ladder to power)

अपराध की दुनिया में अपना साम्राज्य स्थापित करने के बाद सूरजभान सिंह(Surajbhan Singh) ने राजनीति की ओर रुख किया। साल 2000 के आसपास जब उन्होंने चुनावी मैदान में कदम रखा, तो उनके समर्थन में भीड़ उमड़ पड़ी। बाहुबली छवि ने उन्हें जनाधार दिया और जनाधार ने सत्ता का स्वाद चखाया।उन्होंने अपने प्रभाव से राजनीति और अपराध के बीच की दीवार को पूरी तरह धुंधला कर दिया। कई मामलों में अभियुक्त होने के बावजूद, सूरजभान सिंह का दबदबा बिहार की सत्ता तक महसूस किया जाता रहा। मुंगेर और आस-पास के इलाके में उनका नाम आज भी असर रखता है।(Mokama is the political battleground)

 अब रण में हैं वीणा देवी बनाम अनंत सिंह(Now it is Veena Devi vs Anant Singh.)

अब जब सूरजभान सिंह(Surajbhan Singh) की पत्नी वीणा देवी मोकामा (Mokama)से मैदान में हैं, तो मुकाबला स्वाभाविक रूप से दिलचस्प हो गया है। उनके सामने हैं मोकामा के मौजूदा विधायक अनंत सिंह(Anant Singh), जो खुद एक लंबे समय से बाहुबली छवि के साथ क्षेत्र की राजनीति पर राज करते आए हैं।अनंत सिंह ने पिछले दो दशकों से मोकामा की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है। “छोटे सरकार” के नाम से मशहूर अनंत सिंह का प्रभाव सिर्फ राजनीतिक मंचों तक सीमित नहीं, बल्कि आम जनता के दिलों में भी डर और सम्मान दोनों रूपों में मौजूद है।अब मोकामा की जनता के सामने दो रास्ते हैं —एक तरफ हैं अनंत सिंह, जो इलाके के “पुराने बाहुबली” हैं और जिनका प्रभाव जमीन तक फैला है।दूसरी तरफ हैं वीणा देवी, जिनके पीछे खड़ा है सूरजभान सिंह का पुराना नेटवर्क और राजनीतिक अनुभव।(Mokama is the political battleground)

 अपराध, राजनीति और जातिगत समीकरण(Crime, politics and caste equations)

मोकामा (Mokama)का चुनाव सिर्फ बाहुबल का नहीं, बल्कि जातीय और सामाजिक समीकरणों का भी खेल है। यहां भूमिहार, यादव, और अति पिछड़ा वर्ग का संतुलन किसी भी उम्मीदवार की जीत या हार तय कर सकता है। सूरजभान सिंह(Surajbhan Singh) और वीणा देवी(Veena Devi) की टीम इसे बारीकी से साधने में लगी है। वहीं, अनंत सिंह(Anant Singh)का स्थानीय जनाधार और पुराना वफादार वोट बैंक उनके पक्ष में बड़ा फैक्टर माना जा रहा है।(Mokama is the political battleground)

 बिहार का ट्रेंड तय करेगा मोकामा का नतीजा(The result of Mokama will decide the trend of Bihar)

बिहार की राजनीति में कई बार एक विधानसभा सीट पूरे राज्य का ट्रेंड तय कर देती है। मोकामा (Mokama)उन्हीं में से एक है। यहां का परिणाम न केवल स्थानीय सत्ता समीकरणों को प्रभावित करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि बाहुबली राजनीति का युग खत्म हो रहा है या वह नए रूप में पुनर्जीवित हो रहा है।सूरजभान सिंह(Surajbhan Singh) की पुरानी “दादागिरी” और अनंत सिंह(Anant Singh) की मौजूदा “छोटे सरकार” छवि के बीच यह टकराव बिहार की सियासत के इतिहास में एक नया अध्याय लिखेगा।मोकामा की लड़ाई सिर्फ दो उम्मीदवारों की नहीं, बल्कि दो युगों की है — एक वह, जब अपराध ही राजनीति की भाषा था, और दूसरा, जब वही अपराध राजनीति का औजार बन गया। अब देखना यह है कि जनता किसे चुनती है — पुराने बाहुबल की विरासत को या मोकामा के मौजूदा शेर को।(Mokama is the political battleground)

देश और दुनिया की खबरों को जानने के लिए हमारे सोशल मिडिया पेज को फोलो करें

फेसबुक इन्स्टाग्राम यूट्यूब ट्विटर लिंक्डइन 

ये भी पढ़े:

प्रशांत किशोर की पहली उम्मीदवार सूची में दिखी केजरीवाल की झलक 
— डॉक्टरों, प्रोफेसरों और पेशेवरों पर जन सुराज का भरोसा 
27 साल में कैसे बना इंटरनेट का बादशाह?
Exit mobile version