Piyush Pandey Ad Campaign

कैडबरी का वो विज्ञापन जिसने बदल दी भारत की मिठास की परिभाषा — पियूष पांडे की रचनात्मकता का जादूPiyush Pandey Ad Campaign

नई दिल्ली:अगर आपने कभी क्रिकेट मैच देखते हुए अचानक चॉकलेट खाने का मन किया हो या किसी छोटी-सी खुशी पर मुस्कुराकर मिठास का स्वाद चखा हो, तो इसके पीछे कहीं न कहीं पियूष पांडे (Piyush Pandey) का जादू ज़रूर है। भारत के सबसे प्रभावशाली विज्ञापन गुरुओं में से एक पियूष पांडे ने न केवल ब्रांड्स को पहचान दी, बल्कि भारतीय भावनाओं को भी एक नई दिशा दी।शुक्रवार को मुंबई में 70 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया, लेकिन उनके बनाए विज्ञापन आज भी हमारे ज़ेहन में गूंजते हैं — “Fevicol ka mazboot jod hai, tootega nahi”, “Har ghar kuch kehta hai” और सबसे यादगार, Cadbury Dairy Milk का वह विज्ञापन जिसने भारत में “चॉकलेट” को बच्चों की चीज़ से “हर किसी की मिठास” में बदल दिया।(Piyush Pandey Ad Campaign)

 बच्चों से बड़ों तक – चॉकलेट की कहानी का नया अध्याय

(Cadbury Dairy Milk Ad Revolution in India)

1990 के दशक की शुरुआत में भारत बदल रहा था। उदारीकरण (Liberalisation) ने बाजारों के दरवाज़े खोले, सैटेलाइट टीवी आया, और उपभोक्ता मानसिकता में परिवर्तन शुरू हुआ।लेकिन उस समय तक, चॉकलेट सिर्फ बच्चों के लिए मानी जाती थी। बड़ों के लिए यह ‘अनुचित आनंद’ थी — जिसे या तो डेट पर गिफ्ट किया जाता था या बच्चों को इनाम के तौर पर दिया जाता था।इसी सोच को तोड़ा पियूष पांडे ने 1993-94 में अपने Cadbury Dairy Milk के ऐतिहासिक विज्ञापन से।(Piyush Pandey Ad Campaign)

 मैदान पर नाचती लड़की — “Kuch Khaas Hai Zindagi Mein”

(Iconic Dairy Milk Cricket Ad – A Cultural Moment)

वह दृश्य आज भी यादों में ताज़ा है — एक क्रिकेट मैच चल रहा है, खिलाड़ी ने चौका या छक्का मारा है, और भीड़ में बैठी एक युवती खुशी से मैदान में उतरकर नाचने लगती है, हाथ में Cadbury Dairy Milk का बार लिए हुए।

बैकग्राउंड में बजता जिंगल —
🎶 “Asli swaad zindagi ka” 🎶

यह विज्ञापन सिर्फ एक चॉकलेट का प्रचार नहीं था, यह आज़ादी, खुशी और जीवन के सहज पलों का उत्सव था। पहली बार, एक वयस्क महिला को खुलेआम चॉकलेट खाते दिखाया गया था — बिना किसी अपराधबोध या बनावटीपन के।

पियूष पांडे ने भारत को यह सिखाया कि “चॉकलेट सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, हर उम्र के लिए है।”

 ब्रांडिंग से भावनाओं तक — Cadbury का सांस्कृतिक प्रभाव

(How Cadbury Became a Cultural Icon in India)

इस विज्ञापन ने न सिर्फ Cadbury Dairy Milk की बिक्री को आसमान पर पहुंचाया, बल्कि भारत में emotional advertising का नया दौर शुरू किया।
जहां पहले उत्पाद की विशेषताएं (features) दिखाई जाती थीं, वहां पांडे ने भावनाओं, रिश्तों और खुशियों को केंद्र में रखा।

Cadbury अब “sweet” नहीं, बल्कि “emotion” बन गया —

  • त्योहारों पर मिठाई की जगह Dairy Milk आने लगा

  • युवाओं के लिए यह ‘celebration symbol’ बन गया

  • ‘Kuch Meetha Ho Jaaye’ जैसे नए स्लोगन ने भारतीय मिठास की परिभाषा बदल दी

 पियूष पांडे की सोच — Simple Idea, Big Heart

(Piyush Pandey’s Creative Philosophy)

पियूष पांडे का मानना था कि “अगर विज्ञापन दिल को छू जाए, तो दिमाग खुद उसका नाम याद रखता है।”
उनकी रचनाओं में भारतीयपन, भावनाएं और सरलता हमेशा केंद्र में रही।Fevicol, Asian Paints, Cadbury, SBI, Vodafone — हर ब्रांड में उन्होंने भारत की कहानी बुनी।उनका विज्ञापन सिर्फ प्रोडक्ट नहीं बेचता था, वह भावना बेचता था।(Piyush Pandey Ad Campaign)

 लोगों की यादों में जिंदा रहेगा ‘Asli Swaad Zindagi Ka’

(Legacy of the Cadbury Dairy Milk Ad)

आज जब सोशल मीडिया पर लोग पुराने विज्ञापनों को याद करते हैं, तो Cadbury Dairy Milk का वह क्रिकेट ऐड सबसे ऊपर आता है।वह न सिर्फ nostalgia जगाता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि कैसे एक साधारण विज्ञापन भारत के सामाजिक सोच को बदल सकता है।Cadbury अब सिर्फ एक चॉकलेट नहीं, बल्कि celebration, emotion और connection का प्रतीक है — और यह सब एक रचनात्मक दिमाग, पियूष पांडे, की देन है।(Piyush Pandey Ad Campaign)

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