Prashant Kishor Dual Voter ID Controversy

प्रशांत किशोर पर दोहरी वोटर लिस्ट का विवाद: जन सुराज पार्टी प्रमुख पर उठे गंभीर सवाल, बिहार और बंगाल दोनों राज्यों में दर्ज नाम Prashant Kishor Dual Voter ID Controversy

पटना:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार राजनीतिक तापमान चरम पर है। सभी दल चुनावी मैदान में उतर चुके हैं — और इसी बीच एक बड़ा विवाद सामने आया है जो चुनावी चर्चा का नया केंद्र बन गया है।जन सुराज पार्टी (Jan Suraj Party) के संस्थापक और चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) पर “दोहरी वोटर लिस्ट” (Dual Voter ID Controversy) का आरोप लगा है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रशांत किशोर का नाम बिहार (Bihar) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) — दोनों राज्यों की वोटर लिस्ट में दर्ज है, जो Representation of the People Act, 1950 की स्पष्ट उल्लंघना मानी जा रही है।(Prashant Kishor Dual Voter ID Controversy)

 दो राज्यों में दर्ज नाम – कहां-कहां वोटर हैं प्रशांत किशोर?

(Prashant Kishor Voter List in Bihar and West Bengal)

इंडियन एक्सप्रेस (Indian Express) की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत किशोर का नाम बिहार के सासाराम संसदीय क्षेत्र (Sasaram Parliamentary Constituency) में दर्ज है।उनका पोलिंग स्टेशन मध्य विद्यालय, कोनार (Madhya Vidyalaya, Konar) है — यह उनका पुश्तैनी गांव (Ancestral Village) भी माना जाता है।वहीं दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल में भी उनका नाम वोटर लिस्ट में मौजूद है।रिपोर्ट बताती है कि बंगाल में उनका पोलिंग स्टेशन सेंट हेलेन स्कूल, रानी शंकरी लेन (St. Helen School, Rani Shankari Lane) कोलकाता के अंतर्गत आता है।यानी प्रशांत किशोर तकनीकी रूप से दो अलग-अलग राज्यों में वोटर (Dual Registered Voter) हैं — जो चुनावी कानून (Election Law) के तहत अवैध है।(Prashant Kishor Dual Voter ID Controversy)

 कानून क्या कहता है?

(What the Law Says – Representation of the People Act, 1950)

Representation of the People Act, 1950 की धारा 17 (Section 17) के अनुसार:

“किसी व्यक्ति का नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों (constituencies) में दर्ज नहीं हो सकता।”

वहीं धारा 18 (Section 18) कहती है:

“किसी मतदाता का नाम दो या अधिक वोटर लिस्टों में नहीं होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होता है, तो उसे Form-8 भरकर अपना नाम नई जगह ट्रांसफर करवाना अनिवार्य है।”

इसका मतलब यह है कि यदि प्रशांत किशोर ने बंगाल में नाम दर्ज करवाया था, तो उन्हें बिहार की वोटर लिस्ट से नाम कटवाना चाहिए था — या इसके उलट।(Prashant Kishor Dual Voter ID Controversy)

चुनाव आयोग की नजर में मामला

(Election Commission’s Likely Action)

अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या चुनाव आयोग (Election Commission of India) इस पर स्वत: संज्ञान लेगा?
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह रिपोर्ट सत्य है, तो यह “डुप्लिकेट वोटर पंजीकरण” (Duplicate Voter Registration) का मामला है, जो दंडनीय अपराध (Punishable Offence) की श्रेणी में आता है।(Prashant Kishor Dual Voter ID Controversy)

  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर का दांव

(Prashant Kishor Bihar Assembly Election 2025 Strategy)

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) इस बार जन सुराज पार्टी को राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों (243 Assembly Seats) पर उतार चुके हैं।वे लंबे समय से ‘जन संवाद यात्रा’ (Jan Suraaj Yatra) के जरिए जनता के बीच सक्रिय हैं।उनका दावा है कि वे बिहार की राजनीति में “तीसरा विकल्प” बनाना चाहते हैं, जो जाति और धर्म की राजनीति से परे हो।लेकिन इस विवाद ने उनके चुनावी अभियान पर एक बड़ा सवालिया निशान (Political Controversy) खड़ा कर दिया है।कई विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद चुनाव से ठीक पहले उनकी विश्वसनीयता पर असर डाल सकता है।प्रशांत किशोर (Prashant Kishor Dual Voter Controversy) का यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि चुनावी व्यवस्था की पारदर्शिता (Electoral Transparency) से जुड़ा सवाल है।यदि यह रिपोर्ट सत्य है, तो चुनाव आयोग को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए।बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, यह विवाद निश्चित रूप से जन सुराज पार्टी और उसके संस्थापक प्रशांत किशोर के लिए नई चुनौती लेकर आया है।(Prashant Kishor Dual Voter ID Controversy)

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