बिहार चुनाव 2025: क्यों नहीं लड़ते विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार?2025 Bihar Legislative Assembly election

2025 Bihar Legislative Assembly election

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही यह सवाल फिर उठ रहा है – नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव क्यों नहीं लड़ते? 2005 से राज्य की सत्ता में बने हुए नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने हमेशा बिहार विधान परिषद (Legislative Council) का रास्ता अपनाया है और सीधे जनता से चुनाव लड़ने से बचते आए हैं। इससे विपक्ष में यह आरोप भी लगता रहा है कि वे चुनाव हारने से डरते हैं।(2025 Bihar Legislative Assembly election)

राजनीतिक सफर: छात्र राजनीति से सत्ता तक

नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक यात्रा जय प्रकाश नारायण की छात्र आंदोलन से शुरू की थी। बिजली विभाग में इंजीनियर के रूप में काम करने के बाद वे राज्य राजनीति में सक्रिय हुए। उन्होंने पहली बार 1977 में हरनौत सीट से जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 1980 में भी हार का सामना करना पड़ा।1985 में लोक दल के टिकट पर हरनौत से जीतकर उन्होंने विधानसभा में प्रवेश किया, और उसके बाद कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़े। इसके बजाय उन्होंने लगातार लोकसभा चुनाव में भाग लिया और केंद्र में मंत्री भी बने। नीतीश कुमार की पहली लोकसभा जीत 1989 में बाढ़ (Barh) से हुई। इसके बाद उन्होंने 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी बाढ़ और नालंदा से जीत दर्ज की। 2004 में वे नालंदा से विजयी रहे। यह उनका अब तक का अंतिम चुनाव था।(2025 Bihar Legislative Assembly election)

विधान परिषद का रास्ता क्यों?

राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे कहते हैं कि लोकतंत्र में दोनों सदन महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मुख्यमंत्री जनता द्वारा सीधे चुना जाना चाहिए।हालांकि अब यह परंपरा बन चुकी है कि कई नेता विधान परिषद (Upper House) से मुख्यमंत्री बनते हैं। भाजपा के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी इसी रास्ते से काम कर चुके हैं।नीतीश कुमार के लिए विधान परिषद से मुख्यमंत्री बनना सुविधाजनक रहा क्योंकि विधानसभा चुनाव में जीतना कठिन माना जाता है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो विधानसभा सीटें जीतने के बावजूद अधिकांश बार उनके उम्मीदवार नीतीश कुमार के नाम पर विजयी होते हैं।प्रवीण बागी जैसे विशेषज्ञ बताते हैं कि लोकतांत्रिक दृष्टि से मुख्यमंत्री का सीधे जनता से चुना जाना बेहतर होता है। हालांकि संविधान इसके खिलाफ नहीं है, लेकिन यह परंपरा अब धूमिल होती जा रही है। (2025 Bihar Legislative Assembly election)

सत्ता में नीतीश कुमार की लंबी यात्रा

नीतीश कुमार पहली बार 2000 में मुख्यमंत्री बने, लेकिन कुछ दिनों बाद बहुमत न होने के कारण इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 2005, 2010, 2015, 2017, 2020 और 2022 में कई बार मुख्यमंत्री पद संभाला। जनवरी 2024 में भी वे बीजेपी और RJD समर्थन के साथ मुख्यमंत्री बने।इन सभी वर्षों में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे, और उनकी अवधि 2030 तक है। उनके अलावा उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, अशोक चौधरी, संतोष कुमार सुमन और जनक राम जैसे नेता भी ऊपरी सदन से आए हैं।नीतीश कुमार का विधानसभा चुनाव न लड़ना सिर्फ उनकी व्यक्तिगत रणनीति नहीं, बल्कि बिहार की राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है। जबकि विपक्ष इसे चुनावी डर का कारण बताता है, उनके समर्थक इसे कुशल प्रशासन और पार्टी रणनीति के तौर पर देखते हैं। इस बार भी संभावना है कि वे विधान परिषद के माध्यम से सत्ता में बने रहेंगे।(2025 Bihar Legislative Assembly election)

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