‘भूरा बाल साफ करो’ से ‘भूमिहार भरोसे’ तक — आरजेडी का जातीय समीकरण बदलने का मास्टरस्ट्रोक

Ex Mp Surjbhan Singh will join RJD

पटना, अक्टूबर 2025:बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपनी राजनीतिक रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। कभी “भूरा बाल साफ करो” जैसे नारे से पहचान बनाने वाली पार्टी अब “भूमिहार भरोसे” की नई राजनीति गढ़ रही है। तेजस्वी यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि आरजेडी अब सिर्फ माई-वाई (MY) यानी मुस्लिम-यादव की पार्टी नहीं रही, बल्कि यह अब ‘ए-टू-जेड’ (A to Z) समाज की पार्टी बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है।(RJD’s New Political Strategy: From ‘Bhura Baal Saaf Karo’ to Winning Trust of Bhumihar Voters Ahead of Bihar Election 2025)

आरजेडी की नई सामाजिक इंजीनियरिंग(RJD’s Social Engineering to Expand Beyond Traditional MY Base)

तेजस्वी यादव लगातार अपने बयानों में यह कहते रहे हैं कि आरजेडी हर वर्ग और हर जाति की पार्टी है। अब यह कथन व्यवहारिक रूप से भी आकार ले रहा है।आरजेडी ने अपने विस्तार अभियान के तहत अब भूमिहार (Bhumihar Community) को अपने साथ जोड़ने की कवायद तेज कर दी है — यह वही समुदाय है जो परंपरागत रूप से भाजपा और जदयू के वोट बैंक के रूप में देखा जाता रहा है।पार्टी सूत्रों के अनुसार, आरजेडी नेतृत्व का मानना है कि अगर भूमिहार और कुशवाहा जैसे सशक्त वर्गों का समर्थन मिल गया, तो बिहार की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।

भूमिहार समुदाय की अहमियत क्यों?(Why Bhumihar Votes Matter in Bihar Politics)

हालांकि भूमिहार समुदाय की बिहार की आबादी में हिस्सेदारी केवल 2.8 से 2.9 प्रतिशत के बीच है, लेकिन यह समुदाय अपने राजनीतिक प्रभाव, संगठनात्मक ताकत और मतदाताओं पर असर के लिए जाना जाता है।भूमिहार वोट न केवल अपने प्रभाव क्षेत्रों — जैसे सारण, वैशाली, गया, और पटना — में निर्णायक हैं, बल्कि ये कई अन्य जातीय समूहों के वोटिंग पैटर्न को भी प्रभावित करते हैं।इसी को ध्यान में रखते हुए आरजेडी ने इस वर्ग से कई प्रमुख चेहरों को अपने पाले में लाने की रणनीति अपनाई है।

नए चेहरे और बड़े दांव(RJD’s Strategic Inductions Ahead of Election 2025)

  • जेडीयू नेता और घोसी के पूर्व विधायक राहुल शर्मा, जो वरिष्ठ जेडीयू नेता जगदीश शर्मा के बेटे हैं, हाल ही में आरजेडी में शामिल हुए

  • लोजपा नेता और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के भी आरजेडी में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

  • पार्टी लालगंज विधानसभा सीट से अन्नू शुक्ला को टिकट देने पर विचार कर रही है।

इन चेहरों के जरिए आरजेडी यह संदेश देना चाहती है कि वह ऊपरी जातियों (Upper Castes) को भी अपने साथ जोड़ने के लिए गंभीर है, ताकि विपक्ष की “जातिवादी राजनीति” के आरोप को खत्म किया जा सके।(Bhura Baal Saaf Karo)

भूमिहार और कुशवाहा वोटरों में बढ़ी खींचतान(Tug of War Between RJD and JDU for Bhumihar & Kushwaha Votes)

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार बिहार चुनाव में ऊपरी जातियों के वोट निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं।
जहां जदयू (JDU) और भाजपा (BJP) पारंपरिक रूप से इन वोटों पर भरोसा करती रही हैं, वहीं अब आरजेडी ने भी इस वर्ग को साधने की रणनीति बनाकर समीकरण बदल दिया है।तेजस्वी यादव ने हाल के महीनों में कई भूमिहार बहुल इलाकों का दौरा किया है, जिनमें उन्होंने सामाजिक न्याय और विकास का नया संदेश देने की कोशिश की है।

तेजस्वी यादव का नया राजनीतिक संदेश(Tejashwi Yadav’s Message of Inclusive Politics)

तेजस्वी यादव का फोकस अब जातीय राजनीति से हटकर समान भागीदारी और आर्थिक अवसरों पर है।
उन्होंने कई बार कहा है —

“हम बिहार में ऐसी राजनीति चाहते हैं जहां हर वर्ग का सम्मान हो, चाहे वह भूमिहार हो, कुशवाहा, यादव, दलित या अल्पसंख्यक।”

उनकी यह सोच उस नई पीढ़ी की राजनीति का संकेत है, जो आरजेडी की छवि को पुराने जातीय खांचे से बाहर निकालने की कोशिश कर रही है।

‘ए-टू-जेड’ पार्टी का नया चेहरा(RJD Reinvents Itself as A to Z Party of Bihar)

आरजेडी ने बीते दो सालों में केवल घोषणाओं तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि संगठनात्मक स्तर पर भी बड़े बदलाव किए हैं।पार्टी ने अपने प्रवक्ता मंडल, संगठनात्मक पदाधिकारियों और ब्लॉक-लेवल लीडरों में विविध जातियों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाया है।इस रणनीति का उद्देश्य साफ है — “हर वर्ग को साथ लेकर चलना, ताकि राजद को एक समग्र और समावेशी पार्टी के रूप में देखा जाए।”

जदयू और एनडीए की बढ़ी चिंता (RJD’s Strategy Puts JDU and NDA Under Pressure)

आरजेडी की इस नई रणनीति से एनडीए खेमे में हलचल मच गई है।
जदयू पहले से ही कुशवाहा समाज को साधने में जुटी थी, लेकिन अब राजद ने भूमिहार समुदाय में सेंध लगाने का प्रयास शुरू कर दिया है।यह खींचतान आने वाले दिनों में बिहार की राजनीतिक गठजोड़ की दिशा को पूरी तरह बदल सकती है।बिहार की राजनीति एक बार फिर नए जातीय समीकरणों के पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रही है।जहां कभी “भूरा बाल साफ करो” का नारा आरजेडी की पहचान था, वहीं अब पार्टी “भूमिहार भरोसे” और “ए-टू-जेड सामाजिक न्याय” की नई इबारत लिख रही है।तेजस्वी यादव की यह रणनीति न केवल उनकी पार्टी की छवि सुधारने में मदद करेगी, बल्कि बिहार की चुनावी राजनीति में एक नई सामाजिक एकता और समावेशी राजनीति का अध्याय भी खोल सकती है।

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