नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) की बैठक के बाद बड़ा ऐलान किया। गवर्नर संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि रेपो रेट (Repo Rate) को 5.5% पर स्थिर रखा गया है। साथ ही, उन्होंने बताया कि मौद्रिक नीति का रुख ‘न्यूट्रल’ ही रहेगा। यह लगातार दूसरी बार है जब RBI ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया।(Rbi monetary policy repo rate)
लगातार दूसरी बार स्थिर रही रेपो रेट
RBI की अगस्त 2025 की बैठक में भी रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा गया था। उससे पहले फरवरी, अप्रैल और जून 2025 में तीन बार लगातार कटौती की गई थी। कुल 100 बेसिस पॉइंट्स (Basis Points) की कटौती से रेपो रेट 6.5% से घटकर 5.5% पर आ गई थी। अब लगातार दूसरी बार केंद्रीय बैंक ने यह दर स्थिर रखने का निर्णय लिया है।(Rbi monetary policy repo rate)
मौद्रिक नीति का रुख न्यूट्रल
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि MPC ने मौद्रिक नीति का रुख न्यूट्रल रखा है। यानी RBI इस समय न तो आक्रामक ढंग से ब्याज दरें घटा रहा है और न ही बढ़ा रहा है। इसका सीधा संकेत यह है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए केंद्रीय बैंक ‘संतुलित दृष्टिकोण’ अपनाए हुए है।(Rbi monetary policy repo rate)
अमेरिकी टैरिफ का असर
इस बार की MPC बैठक बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा आवश्यक वस्तुओं पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के बाद हुई है। इन टैरिफ्स का असर भारतीय अर्थव्यवस्था और आयात-निर्यात पर देखने को मिल सकता है। RBI का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां अस्थिरता की ओर बढ़ रही हैं।(Rbi monetary policy repo rate)
बाजार और निवेशकों की उम्मीदें
विशेषज्ञों का मानना है कि RBI का यह कदम भारतीय वित्तीय बाजारों में स्थिरता लाने में मदद करेगा। निवेशक लंबे समय से उम्मीद कर रहे थे कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में बदलाव नहीं करेगा, क्योंकि मौजूदा आर्थिक हालात में ब्याज दरों की स्थिरता बेहद आवश्यक है।(Rbi monetary policy repo rate)
क्या है रेपो रेट और इसका असर?
रेपो रेट (Repo Rate) वह दर है जिस पर RBI, वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराता है। जब रेपो रेट घटती है, तो बैंकों के लिए सस्ता कर्ज उपलब्ध होता है और वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं। वहीं, रेपो रेट बढ़ने पर कर्ज महंगा हो जाता है।
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स्थिर रेपो रेट का मतलब है कि EMI पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा।
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गृह ऋण, वाहन ऋण और पर्सनल लोन लेने वाले उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
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दूसरी ओर, निवेशकों के लिए यह संकेत है कि RBI फिलहाल महंगाई और विकास दर के बीच संतुलन बनाए रखना चाहता है।
महंगाई और विकास दर पर RBI की नजर
गवर्नर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर है लेकिन वैश्विक बाजार में अनिश्चितताओं के कारण सतर्क रहना होगा। RBI की प्राथमिकता मुद्रास्फीति (Inflation) को नियंत्रित करना और GDP ग्रोथ (Growth) को गति देना है।
विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि RBI का यह कदम सही दिशा में है। यदि अमेरिका की व्यापार नीतियों से वैश्विक बाजारों पर दबाव बढ़ता है, तो भविष्य में RBI को ब्याज दरों पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है। लेकिन फिलहाल, स्थिर रेपो रेट से अर्थव्यवस्था में भरोसा बढ़ेगा।(Rbi monetary policy repo rate)

