Jayaprakash Narayan the guardian of democracy

लोकतंत्र के प्रहरी जयप्रकाश नारायण: अहिंसक आंदोलन से सत्ता परिवर्तन करने वाले युगपुरुष Loknayak Jayaprakash Narayan

भारत के राजनीतिक और सामाजिक इतिहास में लोकनायक जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan) का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। उन्हें आधुनिक भारत का युग परिवर्तनकारी विचारक कहा जाता है, जिन्होंने महात्मा गांधी के बाद पहली बार अहिंसक आंदोलन के माध्यम से सत्ता परिवर्तन की नई परंपरा स्थापित की। जेपी ने यह सिद्ध कर दिया कि परिवर्तन केवल बंदूक या हिंसा से नहीं, बल्कि जनता की जागरूकता और नैतिक बल से भी संभव है।(Jayaprakash Narayan, the guardian of democracy: The man of the era who brought about a change in power through a non-violent movement)

जेपी का व्यक्तित्व केवल एक राजनीतिक नेता का नहीं था, बल्कि वे विचारों के साधक और लोकतंत्र के प्रहरी थे। उन्होंने 1970 के दशक में जिस छात्र आंदोलन (Student Movement) को जन्म दिया, वह आगे चलकर जेपी आंदोलन (JP Andolan) के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह आंदोलन भारत में लोकतंत्र की रक्षा का प्रतीक बन गया। उस समय की सरकार के दमन और आपातकाल (Emergency) की यातनाओं के बावजूद, जेपी ने आंदोलन को अनुशासित और अहिंसक बनाए रखा।।(Jayaprakash Narayan, the guardian of democracy: The man of the era who brought about a change in power through a non-violent movement)

वे कहा करते थे— “कितने लोग हिंसक हो सकते हैं, कितने लोग बंदूक उठा सकते हैं? केवल मुट्ठी भर लोग ही ऐसा कर सकते हैं।”उनका मानना था कि हिंसा से प्रेरित कोई भी आंदोलन कभी जन आंदोलन नहीं बन सकता। अगर कोई सरकार दमनकारी है और उसके खिलाफ हिंसक आंदोलन किया जाए, तो उस सरकार को अपनी गलतियों को छिपाने का अवसर मिल जाता है।।(Jayaprakash Narayan, the guardian of democracy: The man of the era who brought about a change in power through a non-violent movement)

जेपी का संदेश था कि अहिंसा ही जनता की सच्ची ताकत है। अगर आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा, तो समाज के वे सभी लोग भी इसमें शामिल होंगे जो व्यवस्था से निराश और असंतुष्ट हैं। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया था— “कितनी लंबी जेल तुम्हारी, देख लिया और देखेंगे।” यह नारा आज भी लोकतंत्र प्रेमियों के दिल में गूंजता है।।(Jayaprakash Narayan, the guardian of democracy: The man of the era who brought about a change in power through a non-violent movement)

जेपी का सत्ता और चुनाव के प्रति दृष्टिकोण भी गहराई से लोकतांत्रिक था। वे मानते थे कि “सत्ता स्वभाव से भ्रष्ट करने वाली होती है।” उनका विचार था कि केवल सरकार बदलने से कुछ नहीं होता, जब तक शासन जनता के प्रति जवाबदेह न हो। उन्होंने जनता को “राइट टू रिकॉल” यानी प्रतिनिधि को वापस बुलाने का अधिकार देने की मांग की थी, ताकि जनता सच्चे अर्थों में शासन की मालिक बन सके।।(Jayaprakash Narayan, the guardian of democracy: The man of the era who brought about a change in power through a non-violent movement)

आपातकाल के दौरान जब लोकतंत्र पर संकट छाया हुआ था, तब जेपी ने अपने नैतिक साहस से अंधकार में दीप जलाया। उन्होंने शांति को शक्ति में बदलकर भारत को नया लोकतांत्रिक जीवन दिया। इसी कारण उन्हें “लोकनायक” की उपाधि मिली।आज जब राजनीति में विचारधारा से अधिक स्वार्थ और सत्ता की लालसा दिखाई देती है, तब जयप्रकाश नारायण के विचार और अधिक प्रासंगिक हो उठते हैं। उनका जीवन हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र केवल वोट देने का अधिकार नहीं, बल्कि जवाबदेही, नैतिकता और जनसहभागिता का नाम है।।(Jayaprakash Narayan, the guardian of democracy: The man of the era who brought about a change in power through a non-violent movement)

जेपी ने जिस “समग्र क्रांति” का सपना देखा था, उसका अर्थ केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि समाज, राजनीति और व्यक्ति के भीतर नैतिक जागृति लाना था। उनका यह विचार आज भी भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।जयप्रकाश नारायण केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे— जो बताती है कि अहिंसा, सत्य और जनता की शक्ति से भी इतिहास बदला जा सकता है। उनके विचार सदैव भारतीय लोकतंत्र के मार्गदर्शक बने रहेंगे।।(Jayaprakash Narayan, the guardian of democracy: The man of the era who brought about a change in power through a non-violent movement) 

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